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जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक
जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्वाभास होने लगता है।...
Pawan Dubey
Apr 161 min read
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जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित
जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित हों, जरूरी नहीं है, कि युति में...
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Apr 161 min read
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जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च
जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च राशि में हो, साथ ही साथ जन्म कुंडली में देवगुरु...
Pawan Dubey
Apr 161 min read
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लाभ भाव का स्वामी, भाग्य भाव में, धान भाव का स्वामी लाभ भाव में, और भाग्येश धन भाव में,
लाभ भाव का स्वामी, भाग्य भाव में, धन भाव का स्वामी लाभ भाव में, और भाग्येश धन भाव में, कर्म भाव के स्वामी से युत,या दृष्ट होकर बैठे हों,...
Pawan Dubey
Apr 161 min read
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जन्म कुंडली में मंगल यदि चतुर्थ भाव में, सप्तम भाव में और दशम भाव में हैं। तो एक मूल मंत्र
जन्म कुंडली में मंगल यदि चतुर्थ भाव में, सप्तम भाव में और दशम भाव में हैं। तो एक मूल मंत्र बता दे रहा हूं,आजीवन याद रखिए। किसी की मदद मत...
Pawan Dubey
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जन्म कुंडली में लग्न भाव का स्वामी और सुख भाव का स्वामी बलवान होकर करके केंद्र
जन्म कुंडली में लग्न भाव का स्वामी और सुख भाव का स्वामी बलवान होकर करके केंद्र अथवा त्रिकोण अर्थात् केंद्र का अर्थ 1,4,7,10 और त्रिकोण...
Pawan Dubey
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जन्म कुंडली में सूर्य और शनि दोनों नीच के हो, ऐसी स्थिति में यह दोनों ग्रह आमने-सामने होंगे।
जन्म कुंडली में सूर्य और शनि दोनों नीच के हो, ऐसी स्थिति में यह दोनों ग्रह आमने-सामने होंगे। ज्योतिष शास्त्र के मर्मज्ञ कहते हैं, कि ऐसा...
Pawan Dubey
Apr 161 min read
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जन्म कुंडली में देवगुरु बृहस्पति अथवा पंचम भाव का स्वामी केंद्र अथवा त्रिकोण में,स्थित हो
जन्म कुंडली में देवगुरु बृहस्पति अथवा पंचम भाव का स्वामी केंद्र अथवा त्रिकोण में,स्थित हो और शुभ ग्रह से दृष्ट हो,तो ऐसे जातक को भविष्य...
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जन्म कुंडली में केंद्र में अर्थात् लग्न, चतुर्थ, सप्तम, और दशम गुरु और शुक्र
जन्म कुंडली में केंद्र में अर्थात् लग्न, चतुर्थ, सप्तम, और दशम गुरु और शुक्र इन चारों में से किसी एक भाव में भी गुरु या शुक्र इन चारों...
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जन्म कुंडली में पाप ग्रह से युत अथवा दृष्ट मंगल,
जन्म कुंडली में पाप ग्रह से युत अथवा दृष्ट मंगल,यदि कुंडली के सप्तम भाव में हो, तो जातक दंत रोगी, मूत्र रोग से ग्रसित एवं नपुंसकता का...
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जन्म कुंडली में द्वितीय भाव, चतुर्थ भाव और द्वादश भाव, अर्थात् दूसरा
जन्म कुंडली में द्वितीय भाव, चतुर्थ भाव और द्वादश भाव, अर्थात् दूसरा भाव धन का है। चौथा भाव सुख का है। और बारहवां भाव व्यय का है। अगर यह...
Pawan Dubey
Sep 16, 20241 min read
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जन्म कुंडली में 12वें भाव का शुभ ग्रह से दृष्ट अथवा युत होना, यह ध्यान रखिए,
जन्म कुंडली में 12वें भाव का शुभ ग्रह से दृष्ट अथवा युत होना, यह ध्यान रखिए,कि किसी भी तरह से कुंडली के 12वें भाव से पाप ग्रह का संबंध न...
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Sep 16, 20241 min read
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अगर आपकी जन्म कुंडली में राहु नीच राशि में है। या राहु की महादशा चल रही है।
अगर आपकी जन्म कुंडली में राहु नीच राशि में है। या राहु की महादशा चल रही है। अथवा राहु आपके लग्न में बैठकर के आपको कष्ट प्रदान कर रहे हैं।...
Pawan Dubey
Sep 16, 20241 min read
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जन्म कुंडली में जब शनि की महादशा में चंद्रमा का अंतर आता है।
जन्म कुंडली में जब शनि की महादशा में चंद्रमा का अंतर आता है। तब यह विशेष कष्टप्रदायक बन जाता है। विशेषकर ये परेशानी तब और बढ़ जाती है। जब...
Pawan Dubey
Sep 16, 20241 min read
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जन्म कुंडली में चंद्रमा और शनि की युति,यदि कुंडली के सप्तम भाव में हो,तो
जन्म कुंडली में चंद्रमा और शनि की युति,यदि कुंडली के सप्तम भाव में हो,तो यह जातक के दांपत्य को बेहद कमजोर बना देता है। ऐसा जातक मानसिक...
Pawan Dubey
Sep 16, 20241 min read
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जन्म कुंडली के दूसरे अथवा पांचवे भाव में देवगुरु बृहस्पति, बुध, शुक्र युत हो
जन्म कुंडली के दूसरे अथवा पांचवे भाव में देवगुरु बृहस्पति, बुध, शुक्र युत हो,अथवा दृष्टि संबंध में हो,अर्थात् तीनों ग्रह एक साथ हों,या...
Pawan Dubey
Sep 16, 20241 min read
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जन्म कुंडली में नवम भाव का स्वामी पंचम स्थान में हो,और पंचम का
जन्म कुंडली में नवम भाव का स्वामी पंचम स्थान में हो,और पंचम का स्वामी दशम स्थान में हो, यह अत्यंत श्रेष्ठ स्थिति है। इस योग के कुंडली में...
Pawan Dubey
Sep 16, 20241 min read
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जन्मकुंडली में दूसरे और दसवें भाव के स्वामी यदि युति में हों, और
जन्मकुंडली में दूसरे और दसवें भाव के स्वामी यदि युति में हों, और लग्न में, दूसरे भाव में, चतुर्थ भाव में, पंचम भाव में,सप्तम भाव में, नवम...
Pawan Dubey
Sep 16, 20241 min read
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सुख की चाहत सभी को है। जन्म कुंडली में शुक्र को सुख, एवं भोग ऐश्वर्य
सुख की चाहत सभी को है। जन्म कुंडली में शुक्र को सुख, एवं भोग ऐश्वर्य का कारक ग्रह माना गया है। परंतु यदि जन्म कुंडली में बुध कमजोर हो, तो...
Pawan Dubey
Sep 16, 20241 min read
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जन्म कुंडली में चंद्रमा और शनि की युति को, कुंडली में विष योग
जन्म कुंडली में चंद्रमा और शनि की युति को, कुंडली में विष योग कहा गया है। देखा जाए, तो कुंडली के किसी भी भाव में यह युति हो, यह योग...
Pawan Dubey
Sep 16, 20241 min read
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