top of page

जन्म कुंडली में देवगुरु बृहस्पति अथवा पंचम भाव का स्वामी केंद्र अथवा त्रिकोण में,स्थित हो

  • Pawan Dubey
  • Apr 16
  • 1 min read

जन्म कुंडली में देवगुरु बृहस्पति अथवा पंचम भाव का स्वामी केंद्र अथवा त्रिकोण में,स्थित हो और शुभ ग्रह से दृष्ट हो,तो ऐसे जातक को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का सदैव पूर्वाभास हो जाता है। विशेष कर यदि देवगुरु बृहस्पति केंद्र और अथवा त्रिकोण में हों, और शुभ ग्रह से दृष्ट हों ,तब तो कहना ही नहीं, ऐसे जातक के द्वारा, कहीं बात सत्य हो जाती है।

 
 
 

Recent Posts

See All
जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक

जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्वाभास होने लगता है।...

 
 
 
जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित

जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित हों, जरूरी नहीं है, कि युति में...

 
 
 
जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च

जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च राशि में हो, साथ ही साथ जन्म कुंडली में देवगुरु...

 
 
 

Comentarios


bottom of page