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सनातन धर्म में दान की तीन गति मानी गई है, दान,भोग और नाश।

  • Pawan Dubey
  • Jan 25, 2023
  • 1 min read

सनातन धर्म में दान की तीन गति मानी गई है। दान,भोग और नाश। दान सर्वोपरि है। ज्योतिष शास्त्र का कथन है,कि जन्मकुंडली के बारहवें भाव पर देव गुरु बृहस्पति की दृष्टि पड़ जाए।तो ऐसा जातक दानी स्वभाव का होता है। और वहीं जन्म कुंडली के नवम भाव में नवम भाव का स्वामी स्वगृही होकर के बैठा हो। अथवा नवम भाव का स्वामी जन्म कुंडली में उच्च राशि में बलवान होकर के बैठा हो,और ऐसे नवमेश पर शुभ ग्रह की दृष्टि पड़ जाए तब भी जातक दान देने वाला होता है। और वह दान देने में कभी पीछे नहीं रहता।

 
 
 

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