शनि देव की हम बात करें तो यह जन्म कुंडली के तृतीय भाव में, षष्ठ भाव में,नवम भाव में, दशम
- Pawan Dubey
- Sep 25, 2023
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शनि देव की हम बात करें,तो यह जन्म कुंडली के तृतीय भाव में, षष्ठ भाव में,नवम भाव में, दशम भाव में, और एकादश भाव में बैठकर विशेष श्रेष्ठ फल प्रदायक अथवा धन दायक होते हैं। जन्म कुंडली के अष्टम और चतुर्थ भाव में भी होना अच्छा कहा गया है। अष्टम भावस्थ शनि देव आयु वृद्धि करने वाले, तो वही जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव में बैठे शनिदेव क्षेत्र के कारक बन करके जातक को जीवन काल में भूमि,भवन, वाहन का विशेष सुख देने वाले बनते हैं। अब समस्या यही है, कि चतुर्थस्थ शनि घर में रहने नहीं देते । और अष्टमस्थ शनि आयु तो देते हैं, परंतु जीवन में संघर्ष बहुत ज्यादा बढ़ा देते हैं।

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