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विप्र वर्ण की कुंडली हों। प्रातः काल का जन्म हो। साथ ही जन्म कुंडली

  • Pawan Dubey
  • May 2, 2023
  • 1 min read

विप्र वर्ण की कुंडली हों। प्रातः काल का जन्म हो। साथ ही जन्म कुंडली में गुरु या शुक्र क्रमशः अपनी उच्च राशि या स्वराशि का होकर के कुंडली में लग्न,चतुर्थ पंचम या नवम में हो, अथवा क्षत्रिय वर्ण की कुंडली हो। और जातक का जन्म दोपहर का हो, कुंडली में सूर्य या मंगल अपनी उच्च राशि या स्वराशि का होकर के कुंडली में तीसरे, छठे ,दसवें, ग्यारहवें भाव में बैठे हो,तो अकेले एकमात्र ऐसा ग्रह,जातक को हर प्रकार का सुख देने में सक्षम है। और कुंडली के सभी दुर्योगो का शमन करने वाला ही होगा।

 
 
 

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