top of page

प्रश्न है? जन्म कुंडली में दो विवाह का योग किन

  • Pawan Dubey
  • Apr 16, 2023
  • 1 min read

प्रश्न है? जन्म कुंडली में दो विवाह का योग किन परिस्थितियों में चल जाता है। सीधी सी बात है कि सप्तम भाव पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो, जैसे देव गुरु बृहस्पति की दृष्टि हो देव गुरु बृहस्पति पीड़ित अवस्था में ना हो, सप्तम भाव पर शुक्र की दृष्टि हो। पुरुष की कुंडली है तो शुक्र अच्छी स्थिति में हो।

एक बड़ा सरल तर्क है, उसको ध्यान से सुनिए और समझिए।

जब दो विवाह का योग ही होगा, तो वह चलेगा कैसे? इसी डालने का सबसे सरल तरीका यह है,कि जन्म कुंडली मिलापक अर्थात् मिलान करके विवाह किया जाए, तो यह परिस्थिति ही उत्पन्न नहीं होगी। सप्तम भाव पर पाप ग्रह की दृष्टि, विच्छेदात्मक ग्रह अर्थात् शनि, सूर्य, राहु की दृष्टि से विच्छेद की स्थिति उत्पन्न होती है। लेकिन देव गुरु बृहस्पति जैसे, शुक्र जैसे शुभ ग्रह की दृष्टि से यह विच्छेद की स्थिति टाली जा सकती है।

 
 
 

Recent Posts

See All
जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक

जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्वाभास होने लगता है।...

 
 
 
जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित

जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित हों, जरूरी नहीं है, कि युति में...

 
 
 
जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च

जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च राशि में हो, साथ ही साथ जन्म कुंडली में देवगुरु...

 
 
 

Comments


bottom of page