top of page

जब जन्म कुंडली में लग्न के स्वामी 6, 8 ,12 भाव में हो

  • Pawan Dubey
  • Mar 22, 2023
  • 1 min read

जब जन्म कुंडली में लग्न के स्वामी 6, 8 ,12 भाव में हो,अथवा 6, 8 ,12 भाव के स्वामी लग्न में हो। अथवा कर्म भाव के स्वामी 6, 8 ,12 भाव में हो,या 6, 8, 12 भाव के स्वामी कर्म भाव में जाकर बैठे हो,तो यह बात है,कि ऐसे जातक को आजीवन संघर्ष करना पड़ेगा। इसका सबसे सरल उपाय है,संघर्ष को स्वीकार कर लीजिए। धारा के विपरीत जाने से कुछ भी लाभ नहीं होने वाला वरन् धारा के साथ ही बहना शुरू कर दीजिए। नि:संदेह आपको लाभ होगा। और जन्म कुंडली में नैसर्गिक बलि ग्रह सूर्य हैं। ऐसे प्रत्येक जातक जिनकी जन्म कुंडली का अध्ययन कर रहे हैं। और कुंडली कमजोर दिखाई पड़ रही है। कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है, तो नैसर्गिक बलि ग्रह सूर्य हैं। सूर्य को बलवान बनाने का उपाय बताइए जातक को जीवन में अवश्य सफलता मिलेगी।

 
 
 

Recent Posts

See All
जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक

जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्वाभास होने लगता है।...

 
 
 
जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित

जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित हों, जरूरी नहीं है, कि युति में...

 
 
 
जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च

जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च राशि में हो, साथ ही साथ जन्म कुंडली में देवगुरु...

 
 
 

Comments


bottom of page