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जन्म कुंडली में सूर्य कुंडली के पंचम भाव के स्वामी हो करके, पंचम भाव में ही बैठे हो, और पाप ग्रहों से युत,

  • Pawan Dubey
  • Jan 2, 2024
  • 1 min read

जन्म कुंडली में सूर्य कुंडली के पंचम भाव के स्वामी हो करके, पंचम भाव में ही बैठे हो, और पाप ग्रहों से युत, दृष्ट या पाप ग्रह के मध्य हो,अथवा पंचम भाव पाप मध्यत्व में हो, और पंचमेश नीच का हो, और नवमांश में पंचमेश मकर और कुंभ राशि में हो, अथवा पंचम में गुरु और सूर्य की युति हो, और इन दोनों ग्रहों पर पाप ग्रह की दृष्टि हो, और साथ ही साथ लग्न पर भी पाप ग्रह की दृष्टि हो, ऐसे योग जिस किसी कुंडली में दिखाई पड़ जाए तो समझ लीजिए, ऐसा जातक पितृ श्राप से पीड़ित है। ऐसा जातक नियम से रविवार का व्रत करें। रविवार को नमक का त्याग करें। प्रतिदिन सायंकाल पितरों के निमित्त घी का दिया जलाएं। और पिता का सम्मान करें। जीवन में तभी उसको इस ऋण से मुक्ति मिलेगी। श्राप से मुक्ति मिलेगी और तभी उसको सुख मिलेगा।

 
 
 

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