top of page

जन्म कुंडली में लग्न गत चंद्रमा और बुध पर मंगल की दृष्टि हो, अथवा लग्न में बुध और शुक्र हो,

  • Pawan Dubey
  • Jan 2, 2024
  • 1 min read

जन्म कुंडली में लग्न गत चंद्रमा और बुध पर मंगल की दृष्टि हो, अथवा लग्न में बुध और शुक्र हो, और ऐसे बुध, शुक्र पर मंगल की दृष्टि हो, अथवा लग्नस्थ देवगुरु बृहस्पति पर, मंगल की दृष्टि हो, तो ऐसे जातक के लिए उसके जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है। वह जो चाहे वह प्राप्त कर सकता है। बताने की आवश्यकता नहीं है। चाहे वह बुध और शुक्र की युति हो, चंद्र और बुध की युति हो, या गुरु लग्नगत हो, मंगल की दृष्टि पड़ जाने से, ज्ञान के साथ-साथ पुरुषार्थ भी जुड़ जाएगा। ऐसे जातकों के लिए बस एक ही सूत्र है। ऐसा जातक लज्जा का परित्याग करें। और जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो जाए।

 
 
 

Recent Posts

See All
जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक

जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्वाभास होने लगता है।...

 
 
 
जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित

जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित हों, जरूरी नहीं है, कि युति में...

 
 
 
जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च

जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च राशि में हो, साथ ही साथ जन्म कुंडली में देवगुरु...

 
 
 

Comments


bottom of page