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जन्म कुंडली में यदि भाग्य भाव का स्वामी भाग्य भाव में हो,

  • Pawan Dubey
  • Apr 16, 2023
  • 1 min read

जन्म कुंडली में यदि भाग्य भाव का स्वामी भाग्य भाव में हो, और चंद्रमा से दृष्ट हो, और नवमांश में भाग्य भाव का स्वामी यदि मेष अथवा वृश्चिक राशि में हों, तो ऐसा जातक गृहस्थ आश्रम में होकर के भी तपस्वी की भांति होता है। पूर्व जन्म के प्रभाव से ऐसा जातक अपने जीवन के उत्तरार्ध में, क्योंकि जीवन के पूर्वार्ध में तपस्वी के समान जीवन व्यतीत करते हुए,तपस्या करता रहता है,और जीवन के उत्तरार्ध में जाकर के वह सन्यासी या तो बन जाता है। या घर में रह कर के भी सन्यासी के समान अपना जीवन ही अपना जीवन व्यतीत करता है।

 
 
 

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