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जन्म कुंडली में बुध और गुरु युति बनाकर दशम भाव में

  • Pawan Dubey
  • Mar 27, 2023
  • 1 min read

जन्म कुंडली में बुध और गुरु युति बनाकर दशम भाव में बैठे हो,अथवा नवम भाव में शनि देव हो,अथवा नवम भाव में देव गुरु बृहस्पति हो,अथवा नवम भाव का स्वामी अर्थात् भाग्य भाव का स्वामी देव गुरु बृहस्पति के साथ बैठा हुआ हो जन्म कुंडली में,तो ऐसा जातक नि:संदेह उपासक होता है। साधक होता है,साधना करना उसके लिए बेहद आसान होता है। क्योंकि ऐसा जातक पूर्व जन्म का ही साधक होता है। पूर्व जन्म में उसने साधना की हुई होती है। इस जन्म में उसके को थोड़ी सी जानकारी दे दी जाए। सहयोग और सदगुरु मिल जाए। तो नि:संदेह उपासना करेगा और सिद्धि प्राप्त करेगा।

 
 
 

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