top of page

जन्म कुंडली में देव गुरु बृहस्पति दशम भाव में एवं शनि दूसरे भाव में हो, तो

  • Pawan Dubey
  • Sep 11, 2023
  • 1 min read

जन्म कुंडली में देव गुरु बृहस्पति दशम भाव में एवं शनि दूसरे भाव में हो, तो ऐसे जातक का धन दिन-दूना, रात-चौगुना बढ़ता ही रहता है। कारण है, कि शनिदेव जन्म कुंडली के दूसरे भाव में बैठकर वह जहां भी बैठते हैं, स्थान की वृद्धि करते हैं। और देव गुरु बृहस्पति धन के कारक हैं। अब शनि देव का देव गुरु बृहस्पति के साथ नवम पंचम का योग होगा। और देव गुरु बृहस्पति की दृष्टि शनि पर होगी। फलत: ऐसे जातक का धन सदैव ही बढ़ता रहेगा।

 
 
 

Recent Posts

See All
जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक

जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्वाभास होने लगता है।...

 
 
 
जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित

जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित हों, जरूरी नहीं है, कि युति में...

 
 
 
जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च

जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च राशि में हो, साथ ही साथ जन्म कुंडली में देवगुरु...

 
 
 

Comments


bottom of page