top of page

जन्म कुंडली में गुरु और शुक्र के बल को जन्मांक से कहीं ज्यादा

  • Pawan Dubey
  • Sep 8, 2023
  • 1 min read

जन्म कुंडली में गुरु और शुक्र के बल को जन्मांक से कहीं ज्यादा आपको नवमांश में विचार करना चाहिए। यदि नवमांश में यदि दोनों ग्रह गुरु और शुक्र या इनमें से कोई एक ग्रह नीच का है। शत्रु राशि का है। तो समझ लीजिए, जातक को जीवन में उचित सुख और सफलता उसे प्राप्त नहीं होगी। सुख और सफलता से वह वंचित हो जाएगा। ऐसी अवस्था में आप एक काम करिए। शुक्र यदि नवमांश में आपको पीड़ित दिखाई पड़ते हैं। नियमित गाय को हरा चारा और गुरु यदि नवमांश में पीड़ित दिखाई पड़ते हैं, तो नियमित केसर का तिलक अपने माथे पर लगाना शुरू करिए। गुरु और शुक्र को बल जाएगा। और इससे आपका जीवन सुखद हो सकेगा।

 
 
 

Recent Posts

See All
जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक

जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्वाभास होने लगता है।...

 
 
 
जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित

जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित हों, जरूरी नहीं है, कि युति में...

 
 
 
जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च

जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च राशि में हो, साथ ही साथ जन्म कुंडली में देवगुरु...

 
 
 

Comments


bottom of page