जन्म कुंडली में कर्म भाव का स्वामी अर्थात् दशम भाव का स्वामी,
- Pawan Dubey
- Sep 8, 2023
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जन्म कुंडली में कर्म भाव का स्वामी अर्थात् दशम भाव का स्वामी, अगर कुंडली के छठे,आठवें और बारहवें भाव में जाकर बैठ जाए। तो जातक के जीवन काल में सफलता का साथ सदैव नहीं बना रहता। अर्थात् सफलता मिलती है,लेकिन पुनः कुछ दिनों बाद परेशानी से वजूद नहीं लगता है। नौकरी मिली, नौकरी कर रहा था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद नौकरी छूट गई। काम मिला, बढ़िया काम चला। काम छूट गया। अब बढ़िया काम ही नहीं मिल रहा है। कुछ ना कुछ परेशानी जातक के साथ लगी ही रहती है। व्यापार पिछले कुछ दिनों में बहुत अच्छा चला, अब शांत चल रहा है। अगर कर्म पति का संबंध छठे, आठवें, बारहवें भाव से हो,तो जातक सफलता का स्वाद निरंतर नहीं चख नहीं पाता।

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