top of page

जन्म कुंडली के पंचम और नवम भाव से किसी प्रकार से शनिदेव का संबंध हो,

  • Pawan Dubey
  • May 2, 2023
  • 1 min read

जन्म कुंडली के पंचम और नवम भाव से किसी प्रकार से शनिदेव का संबंध हो, अर्थात् शनिदेव की वहां पर राशि मकर या कुंभ हो पंचम या नवम भाव में, या शनि देव की दृष्टि हो पंचम और नवम भाव पर, या पंचम या नवम भाव में शनि देव बैठे हुए हो। तो आप मां काली की उपासना करिए। मां काली की उपासना से धर्म,अर्थ, काम,मोक्ष चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति,अर्थात् कहने का मतलब यह है,कि सब कुछ प्राप्त हो जाएगा।आपको आपके जीवन काल में, मां काली की उपासना से,तो आप यह काम अवश्य करिए। और मां काली की आराधना करते सब कुछ पा लीजिए।

 
 
 

Recent Posts

See All
जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक

जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्वाभास होने लगता है।...

 
 
 
जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित

जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित हों, जरूरी नहीं है, कि युति में...

 
 
 
जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च

जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च राशि में हो, साथ ही साथ जन्म कुंडली में देवगुरु...

 
 
 

Comments


bottom of page