top of page

जन्म कुंडली का नवम भाव अर्थात् भाग्य भाव, भाग्य भाव में शुभ ग्रह हों

  • Pawan Dubey
  • Jan 25, 2023
  • 1 min read

जन्म कुंडली का नवम भाव अर्थात् भाग्य भाव,भाग्य भाव में शुभ ग्रह हों,अथवा पाप ग्रह हो भाग्य के लिए सहयोगी यह दोनों होते हैं। अंतर इतना है,कि पाप ग्रह नवम भाव में हो,तो भाग्य का साथ विलंब से मिलता है। शुभ ग्रह भाग्य भाव में हो,तो भाग्य उदय बाल्यकाल में ही हो जाता है। या कहीं भाग्य का साथ सदैव मिलता है। पाप ग्रह के होने से भी भाग्य का साथ निरंतर मिलता रहता है। विशेषकर यदि जन्म कुंडली के नवम भाव में पाप ग्रह हो,और ऐसे पाप ग्रह का शुभ ग्रह की दृष्टि पड़ जाए। तो कहना नहीं जातक का भाग्य निरंतर उसका साथ देता रहता है,उसकी प्रगति निरंतर होती रहती है। वही जन्म कुंडली के नवम भाव में शुभ ग्रह हो,और उस पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि पड़ जाए। तो भी जातक अद्भुत भाग्य वाला होता है। नवम भाव में शुभ ग्रह हो और उस पर किसी भी पाप ग्रह की दृष्टि ना हो तब भी जातक का भाग्य बाल्यकाल से ही साथ देता है।

 
 
 

Recent Posts

See All
जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक

जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्वाभास होने लगता है।...

 
 
 
जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित

जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित हों, जरूरी नहीं है, कि युति में...

 
 
 
जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च

जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च राशि में हो, साथ ही साथ जन्म कुंडली में देवगुरु...

 
 
 

Comments


bottom of page