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जन्म कुंडली का दूसरा और पांचवा भाव, बुध और गुरु इन्हीं से वाणी का विचार होता है।

  • Pawan Dubey
  • May 2, 2023
  • 1 min read

जन्म कुंडली का दूसरा और पांचवा भाव, बुध और गुरु इन्हीं से वाणी का विचार होता है। यदि कुंडली में यह चारों पीड़ित हो जाएं। अर्थात् दूसरा भाव, पांचवा भाव बुध और गुरु तब तो ऐसा जातक मूक यानी गूंगा हो जाता है। वह बोल नहीं पाता हैं। परंतु इनमें से कोई एक पीड़ित हो। जैसे मान लीजिए,दूसरा भाव पीड़ित हो गया। पाप ग्रह की दृष्टि से,पांचवा पीड़ित हो गया,पाप ग्रह की दृष्टि से। या पाप कर्तरी में। या बुध और देव गुरु बृहस्पति, तो ऐसा जातक अच्छा बोलने की क्षमता होते हुए भी, बोल नहीं पाता।व्यक्त नहीं कर पाता। या समय पर बोल नहीं पाता। इसी तरह से देखें,यदि दो कोई पीड़ित हो जाए।तो जातक के अंदर अभिव्यक्ति की कमी आ जाती है। तीन पीड़ित हो जाए, तब भी यही स्थिति उत्पन्न होती है। वह अच्छा बोल नहीं पाता और अपनी बात सामने वाले को कभी समझा नहीं पाता हैं।

 
 
 

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