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जन्म कुंडली अध्ययन में सदैव एक बात का ध्यान रखिए। भाव, भाव पति, भाव कारक।

  • Pawan Dubey
  • Feb 5, 2023
  • 1 min read

जन्म कुंडली अध्ययन में सदैव एक बात का ध्यान रखिए। भाव, भाव पति, भाव कारक।

भाव, भाव पति, भाव कारक यही एकमात्र मूल सूत्र है। इस को ध्यान में रख लिया तो समझ लीजिए। कि कुंडली का अध्ययन आप आसानी से कर लेंगे। एक उदाहरण से समझिए आपके सम्मुख एक राज्य पुत्र बैठा हुआ है। अर्थात् राजा का पुत्र बैठा हुआ है। और उसकी कुंडली में धन भाव पीड़ित है,धन भाव के स्वामी पीड़ित है।धन भाव के कारक अर्थात् देव गुरु वृहस्पति पीड़ित है।तीनो के तीनो किसी ना किसी तरह से पीड़ित हैं। तो डरने की आवश्यकता नहीं।नीधड़क कहिए। जातक धन का सुख नहीं देख सकेगा।

 
 
 

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