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गृहस्थ आश्रमी के घर में, पूजन स्थल पर मूर्तियों का मुख, सदैव पश्चिम की ओर ही होना चाहिए।

  • Pawan Dubey
  • Jan 2, 2024
  • 1 min read

गृहस्थ आश्रमी के घर में, पूजन स्थल पर मूर्तियों का मुख, सदैव पश्चिम की ओर ही होना चाहिए। दक्षिण की ओर नहीं होना चाहिए। आपके पास दो विकल्प होता है। कि पश्चिम की ओर रखें या दक्षिण की ओर रखें। क्योंकि जब मूर्तियों का मुख पश्चिम की ओर होगा। तो साधक का मुख, देखा जाए तो पूर्व की तरफ हो जाएगा। अगर मूर्तियों का मुंह दक्षिण की ओर होगा, तो साधक का मुंह उत्तर की हो जाएगा।

लेकिन गृहस्थ आश्रमी के घर दक्षिणाभिमुख मूर्ति को रखा जाए,तो वहां घर में उग्रता बढ़ती है। गृह कलह का वातावरण सदैव बना रहता है।

 
 
 

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