top of page

कुंडली के चतुर्थ भाव में यदि पाप ग्रह हो,

  • Pawan Dubey
  • Mar 22, 2023
  • 1 min read

कुंडली के चतुर्थ भाव में यदि पाप ग्रह हो, और पाप ग्रह की दृष्टि भी पढ़ रही हो। अथवा पाप ग्रह से युत या दृष्ट होकर की कुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य यदि बैठे हो,तो ऐसा जातक बाहर से चाहे जितना विशुद्ध प्रतीत हो। बाहर से चाहे वह जितना बढ़िया दिखाई पड़े। भीतर से वह कपटी अवश्य होगा। कारण जन्म कुंडली का जो चतुर्थ भाव है। वह आपके हृदय को बताता है।और सूर्य के वहां होने से जातक मान सम्मान की इत्यादि की विशुद्धता की चर्चा होती है, पता चलता है। अब इस भाव पर जितने भी पाप ग्रह की दृष्टि होगी। हो सकता है,जातक बाहर से दिखावे के लिए चाहे जितना विशुद्ध दिखाई पड़ता है,उस पर कोई कलंक ना लगा हो। लेकिन भीतर से वह कपटी, हृदय से कपटी वह अवश्य होगा।

 
 
 

Recent Posts

See All
जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक

जन्म कुंडली में शनि या राहु, कुंडली के तीसरे अथवा छठे स्थान पर हों,तो ऐसे जातक को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्वाभास होने लगता है।...

 
 
 
जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित

जन्म कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह ना हों, लग्नेश और देवगुरु बृहस्पति केंद्र में स्थित हों, जरूरी नहीं है, कि युति में...

 
 
 
जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च

जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी बलवान हो, शुभ ग्रह से युत, अपनी स्वराशि या उच्च राशि में हो, साथ ही साथ जन्म कुंडली में देवगुरु...

 
 
 

Comments


bottom of page