कहां जाता है,कि कर्म में बहुत ताकत है। मृत्यु निश्चित है।
- Pawan Dubey
- Apr 16, 2023
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कहां जाता है,कि कर्म में बहुत ताकत है। मृत्यु निश्चित है। क्या आपने अच्छे कर्म से मृत्यु को सरल बनाया जा सकता है?
भले ही चतुर्थ भाव में पाप ग्रह हों,या दशम भाव में, सबसे पहले मैं आपको बता दूं,कि मृत्यु और जन्म दोनों को ही सरल नहीं बनाया जा सकता। यह नियम कहता है कि जनमत मरत दुशह दुःख होई । उस समय तो बेहद पीड़ा दाई स्थिति ही होती हैं। और वह सब को भोगना पड़ता है। और यह विचारणीय है,कि कोई बता नहीं सकता।कि कैसा कष्ट हमने देखा। परंतु हां कोई अकाल मृत्यु ना हो। बाथरूम में या चलते चलते राह में, ऐसे ना हो,अच्छे से मृत्यु हो।भली-भांति होश में रहकर यदि व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो,तो यही सर्वाधिक श्रेष्ठ स्थिति है। तो नि:संदेह अच्छे कर्म करके, भगवान की आराधना करके, होश में रहकर मरा जा सकता है।

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