अगर रथ में एक ही पहिया हो तो उसमें गति नहीं हो सकती
- Pawan Dubey
- Jan 23, 2023
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अगर रथ में एक ही पहिया हो,तो उसमें गति नहीं हो सकती अर्थात् वह चल नहीं सकता शास्त्रकार कहते हैं,उसी प्रकार बगैर पुरुषार्थ किए भाग्य फलदाई नहीं हो सकता,भाग्य का साथ चाहिए,तो पुरुषार्थ करिए,और यह भाग्य बनता कैसे हैं? बनाता कौन है?
तो इसके लिए शास्त्रकार आगे कहते हैं,कि पूर्व जन्म में जो आपने कर्म किया है,वही आपका भाग्य हैं,उसी को देव कहा जाता है। यानी भाग्य को किसने बनाया आपने बनाया,तो शास्त्रकार कहते हैं,तो लग जाइए पुरुषार्थ में आलस्य को छोड़कर क्योंकि आपके भाग्य का निर्माता आप स्वयं हैं।
और जब अपने ही हाथों आपको अपना भाग्य लिखना है,तो उस में कोताही कैसी अपना भाग्य पूरे मनोयोग से लिखिए,और जब अपने भाग्य के विधाता हम खुद हैं,तो हमें अपना भाग्य कम से कम पूर्ण मनोयोग के साथ लिखना चाहिए,आलस्य को त्यागकर।

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